Sunday, November 29, 2009

खिडकिया

कुछ खुले अधखुले , कुछ पूरीअधूरी



कहानी कहती यह खिडकिया




कुछ सुने अनसुने , कुछ दिखे अनदिखे



राज़ खोलती यह खिडकिया



कभी ठंडी हवा के झोके कों साथ लाती खिडकिया



कभी सर्दी मे तेज धूप की बौछारकरती खिडकिया



कभी यह खिडकिया झरोखा बनती दुनिया देखने का



कभी यह खिडकिया बहाना बनती दुनिया से बचने का



कुछ सुलझे अनसुलझे सवालों को जन्म यह खिडकिया



कभी हँसी ठीटोली की हिलोर बनती खिडकिया


कभी टकराहट और झगडे के शोर का कारण बनती यह खिडकिया


कभी ख्वाबो को पंख लगाती यह खिडकिया


कभी उड़ते परिंदों के पर काटती यह खिडकिया



ज़माने की पूरी कहानी सुनाती यह खिडकिया


बंद झरोखे की दबी जबान मैं उनके मर्म को समझाती यह खिडकिया


यह खिडकिया समझाती है जीवन के रहस्य को


मानो तो एक खुली किताब है यह खिडकिया


और न मानो तो ये खाली खिडकिया ही तो है



और क्या.......!!!!!


पियूष चंदा







Wednesday, July 15, 2009

WHY

why don't you be with me
why can't you smile with me
why is the sea all the blue
why i admire you i dont have any clue
am i true or fake
what i am doing is for your sake
iam drowning deep down in sorrow lake
pick me & take whereever u want to take
so that i can rejuvenate & renew
i no longer want to stand in que
iam amongst the few
please forgive me if i had done any wrong
give me a chance with you to sing a song
why is the night is so long
till now iam waiting for dawn
i know your gone
but still i want to be with you in this gren pastured lawn
why i want to die
why i want to cry
is there any hope left
is this the case of theft
do i have any gifted talent
i want to destroy everything
to resolve my vent
i want to give a full blow to destiny
& make a dent
a time will come when i will become insane
but iam afraid all your efforts be in disdain
all your efforts will be in disdain.


PIYUSH CHANDA

Tuesday, June 23, 2009

हार नही स्वीकार

हार नही मानूंगा मैं
दूंगा मुह तोड़ जवाब परिस्थतियों को मैं
हार नही मानूंगा मैं
है चाहे शरीर टूटे
चाहे कराह उठे बदन
इस पत्थर पर लकीर
बनाकर रहूँगा मैं
हार नही मानूंगा मैं
मन की बात सुनकर
सुनूंगा अंतर्मन की बात मैं
कहेगा अगर आराम भी तो
नही लूँगा विराम मैं
इस भुझती ज्वाला को
और भडकाऊंगा मैं
हार नही मानूंगा मैं
ख्वाहिशो की पतंग की डोर
को स्वताप जलाकर सुद्रढ़ करूँगा मैं
थक रही इन टांगो मैं
नया जोश भरूँगा मैं
हार नही मानूंगा मैं
अकेला हू तो कोई संताप नही करूँगा मैं
इस जोत को जोश बना के चलूँगा मैं
नही झुकाउंगा सर
उस नीच पापी हताशा और आलस के सामने
निरंतर कठिन परिश्रम और चपलता होंगे मेरे अस्त्र
त्राहि त्राहि मचा दूंगा इनकी धरा पर
कर दूंगा इनको नष्ट त्रस्त पथ्ब्रष्ट
हार नही मानूंगा मैं
करूँगा अपना कल्याण
और सफल नही होने दूंगा इन आसुरी प्रवार्तियो को अपने मंतव्य मैं
हू इन्सान जानवर तो नही
जो डर जाऊ हार मान लू
हार नही मानूंगा मैं
नष्ट करूँगा इन सबको मैं
अस्त्र नही करूँगा विसर्जित मैं
हार नही मानूंगा मैं
पुनर्जीवित करूँगा स्वतः को मैं
स्वीकार नही यह हार मुझे
हार को जीत की जय माल नही पहनाऊंगा मैं
विकराल रूप धारण कर
करूँगा कल पर वार
और हराऊंगा हार को एक ही वार मैं
हार नही मानूंगा मैं
हार नही मानूंगा मैं

Sunday, May 31, 2009

RELIGION

WHY MUSLIMS ARE HATED,

HINDUS ARE CHEATED

CRISTIANS ARE ELEVATED

& OTHER RELIGION ARE DELEGATED

THERE MUST BE SOME REASON

RELIGION IS THERE .....

BUT IS THERE ANYONE WHO REALLY CARE

DONT DIVIDE YOURSELF ACCORDING TO RELIGION

FOLLOW THE PATH OF GOODNESS &

ENJOY LIFES EVERY SEASON

FOR YOUR OWN FOLLY DONT BLAME THE RELIGION


THERE MUST BE SOME MISTAKE,AMEND IT


& MAKE IT A LESSON

RELIGION IS THERE ....

BUT IS THERE ANY NEED TO CARE

WHO IS DARK & WHO IS FAIR

YES RELIGION IS THERE....

DONT MIX IT WITH POLITICS BEWARE

BECAUSE IT WILL HURT FROM EVERY WHERE

YES RELIGION IS THERE .....

BUT ALAS WHO CARES

BUT ALAS WHO CARES.....

Thursday, May 14, 2009

समर्पना

अर्पण कर दिया मैंने जो करना था अर्पण
आज निसार हो गया हू मैं
कर दिया है आज पुरा समर्पण
मेरा कुछ नही रहा अब मेरा
स्वीकार करो अब सब कुछ है तेरा
कर लो अब मेरा यह निवेदन स्वीकार
मैं हू निष्पाप अब
यही है मेरा व्यहार
कोई नज़र नही आता
सिवाए तुम्हारे जब देखता हू दर्पण
अब अपने जीवन का तुमसे करना चाहता हू मैं तर्पण
स्वीकार करो मेरी यह अर्पणा
मेरे जीवन मैं बस यही कर्मणा
अर्पण कर दिया मैंने जो करना था अर्पण
आज निसार हो गया हू मैं
कर दिया है आज पूरा समर्पण ।



पीयूष चंदा

Friday, May 8, 2009

आईना

आईने बहुत है हज़ार ज़िन्दगी मैं
दीवारों की कमी नही
पैमाने लाखो हैं ज़िन्दगी मैं
दीवानों की कमी नहीं
कभी हँसी का परदा
छुपा लेता है अकेलेपन को
कभी खामोश चेहरा समां जाता हैं चकाचौंध मैं
धीरे से कोई ख्वाब
बस जाए उस दिल मैं दुआ है मेरी
धीरे से वो नूर लौट आए
इल्तिजा है मेरी
कितनी बेत्कलुफ़ है ज़िन्दगी
की संगदिल से ही होती है
दिल्लगी बार बार
और आलम तो देखो की फिर यह
गलती जानबूझकर करना चाहता है यह दिल
चाँद की रौशनी जन्म लेती है सूरज से
पर इंसान कहा से लाये अपने पास अपने नूर को
छुपा है वो उसके अन्दर ही कही
बस पहचान कर खोजने की देरी है
खुबसूरत होगा वो आईना जो बता दे
कहा है वो नूर छुपा
आईने बहुत है हज़ार
बस आईना खोजने की देरी है
पैमाने लाखो है जिंदगी मैं
बस निगाह चाहिए खोजने की


पीयूष चंदा

Saturday, May 2, 2009

मिथ्यप्रकाश

आज के मिथ्या से कल सत्य प्रकाशित होगा
आज के अंधकार से कल का आकाश प्रज्वलित होगा
नित्य वियोग से अदभुत संयोग होगा
कल के प्रयोग से आज उपयोग होगा
काल के परिमान पर कल का सम्मान होगा
आज के विज्ञानं से कल महान होगा
मिथ्या की परिभाषा ही सत्य की भाषा होगी
सुख की अंतरात्मा ही दुःख की आत्मा होगी
कल की परछाई ही आज की अच्छाई होगी
आज की अरुणाई ही कल की रुलाई होगी
निरंतर से अन्तर जन्म लेगा
काल से विकराल जन्म लेगा
किंतु मर्दन का संयोग ना होगा
अपितु परिमार्जित सत्य प्रकाश न होगा
केवल और केवल मिथ्यप्रकाश होगा
आज के मिथ्या से कल सत्य प्रकाश होगा
आज के सत्य से कल मिथ्यप्रकाश होगा



पीयूष चंदा

Friday, May 1, 2009

विश्वास

विश्वास रखो जिंदगी मैं अभी
मान कभी हार जिंदगी मैं कभी
मत समझो अपने आप को अकेला
तुम्हारे साथ है जिंदगी मैं सभी
माँ की शुभकामनाये , पिता का आशीर्वाद
बहिन के प्यार का रहेगा
तुम्हारे सर पे हाथ
बस छोड़ना नही विश्वास का साथ
विश्वास जिंदगी की पूंजी है
सफलता की एकमात्र कुंजी है
मेरे दोस्तों मेरे भाई
बस सभी को देना चाहता हु एक सफाई
यही है तुम्हारे पास एक अनमोल कमाई
दिल पे लेना कभी असफलता को कभी
विश्वास को टूटने देना कभी
जिन्दगी है भरी हुई उतरान चढान से
पर यही तो है जिन्दगी का मज़ा
वो इंसान ही क्या जो टूट जाए
मज़ा तो तब है जब वो उतरान से
चढान पर पहुच जाए
विश्वास रखो ज़िन्दगी मैं अभी
मान कभी हार ज़िन्दगी मैं कभी



पीयूष चंदा

Thursday, April 30, 2009

जीवन परिभाषा

यत्र तत्र जीवन
मन्त्र तंत्र यंत्र जीवन
किंचित भी न विचित्र जीवन
मित्र सुंदर चित्र जीवन
विलक्षण किंतु परिष्कृत जीवन
जीवट अति सरंक्षित जीवन
विलास केवल न जीवन
परन्तु केवल विलाप न जीवन
केवल न संग्राम जीवन
थोड़ा सा व्ययाम जीवन
विभिन्न भिन्न आयाम जीवन
परन्तु नही पूर्ण विराम जीवन

पीयूष चंदा

Tuesday, April 28, 2009

मंजिले और भी है ख्वाहिशे है हजारों

आज है हम यहाँ कल हम जायेंगे कहाँ

छूने निकले थे आसमा है विश्वास था होगा हमारा सारा जहाँ

न जाने कल हम होंगे कंहा

जहाँ ले जायेंगे हमे किस्मत के रास्ते

वो पहुचेंगे अपनी मंजिल जो चलेंगे दिल के वास्ते

मंजिले और भी है ख्वाहिशे है हजारों

अपनी जिंदगी है अपने हाथ है दोस्तों

चाहे बिगाडो चाहे सवारों

दौड़ है खो न जाना कहीं

याद रखना क्या है ग़लत और क्या है सहीं

दूर पास की आस न रखना

अपनी खुशियों को अपने पास न रखना

फैलाते रहों खुशिया हज़ार जिंदगी मैं लाओं बहार

साहिल पर पहुचकर सागर की गहाराई नाप ली जाती है

सहर पर आकर निशा की लम्बाई जांच ली जाती है

कायनात के है हजारों आयाम

आंसा नहीं है इन की सत्यता समझना

पर कोशिश जारी रखना ही

होना चाहिए इंसान का अंतिम ध्येय

कभी खोना नहीं अपने पर विशवास

गर मिल भी न सके मंजिल तो कोई गम नहीं

मंजिलें और भी है खाव्हिशे है हजारों

पीयूष चंदा

Saturday, April 25, 2009

NOTHING MATTERS

Pleasure gives pain
dont think that i am insane
my all efforts have gone in vain
now i walk alone in disdain
i dont know where i will land
the surface beneath my feet is hollow then sand
dont feel offended
because i have nothing to defend
iam always week and mellow
but iam not able to swallow
i think you would be able to follow

PIYUSH CHANDA

Friday, April 24, 2009

Reality Bites

Everybody is fake
we are all doing for their sake
its all our take what we make
water is seems to be all around every where
but my thirst never seems to be satisfied
i dont know where i will land up
but i think i dont have the courage to sum up
i know this not the dead end
i dont know weather i will be able to mend the fence of trust
but i know one thing
that i am not the person to know this first

PIYUSH CHANDA

Friday, April 3, 2009

LIFE IS LITE

Maid: What do you want, sir?
Visitor: I want to see your master.
Maid: Whatís your business, please?
Visitor: There is a bill...
Maid: Ah! He left yesterday for his village...
Visitor: Which I have to pay him...
Maid: And he returned this morning.



Chemistry Teacher: ìCan you give me the formula for water?î
Student: ìH-I-J-K-L-M-N-O-.î
Chemistry Teacher: ìWhere did you get an idea like that?î
Student: ìYou told us the other day it was H to O.î


Bacteria: the back entrance to a cafeteria.
Buoyant: male equivalent of gallant.
Dogma: the mother of puppies.
Ultimate: the last person to marry.
Vice versa: dirty poems.


Friday, March 27, 2009

MESSAGES FROM SOME ONE CLOSE TO MY POCKET

एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है
इनकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है
उसे पाना नही मेरी तकदीर में शायद
फिर हर मोड़ पे उसका इंतज़ार क्यों है

सूख जाते हैं लब लफ्ज़ मिलते नहीं
रह जाते हैं साए अक्स दिखते नहीं
होता नहीं हमसे इश्क बयान ,
और वो नज़रों की जुबान समझते नहीं

खुदा करे दोस्ती में एक ऐसा मुकाम आए ,
मेरी रूह मेरा जीवन मेरे दोस्त के काम आए
हम तो चाहते हैं अगले जनम भी ,
आपके दोस्तों में हमारा नाम आए

उनकी गली से हम निकले, अजीब इत्तेफाक था
फूल तो फेका उन्हों ने लेकिन पौट भी साथ था

दोस्त का पहला पैगाम आपके नाम
जिंदगी की हर शाम आपके नाम
इस सफर मैं हमसफ़र हैं हूँ दोनों
इस दोस्ती को निभाना हमारा काम

रिश्तों की एहमियत बताते हैं फासले ,
और थोड़ा तड़पाते भी है फासले
दिलो में कभी दूरी ये दुआ करले
चाहे बने रहे यूँही ये फासले

. कितनी परवाह करते हैं हम उनकी
काश उनको भी यह एहसास हो जाए
कहीं ऐसा हो की वो तब होश मैं
आयें जब हम गहरी नींद मैं सो जाएँ


कितनी बुरी लगती है ज़िन्दगी, जब हम तनहा महसूस करते हैं ,
मरने के बाद मिलते हैं चार कंधे, जीते जी हम एक को तरसते हैं .


उनका वादा है की वो लौट आयेंगे ,
इसी उम्मीद पर हम जिए जायेंगे ,
यह इंतज़ार भी उनकी ही तरह प्यारा है,
कर रहे थे , कर रहे है और किए जायेंगे


१० बुझी हुई शमा फिर से जल सकती है
तूफानों में घिरी कश्ती किनारे लग सकती है
मायूस होना कभी ज़िन्दगी में
यह किस्मत है कभी भी बदल सकती है

११ सूरज चढ़े ता लोग कहंदे दिन चढ़ गया,
सानु तेरे बगैर सजना अँधेरा लगदा,
तू मिले तो चाहे काली रात होवे,
सानु ओही पल सजना सवेरा लगदा

१२ चुपके से चाँद की रौशनी आपकी हो जाए,
धीरे से हवा आपको कुछ कह जाये,
दिल से जिन्हें चाहते हो उन्हें मांग लो खुदा से ,
हम दुआ करेंगे आपको वो मिल जाये

१३ तुझे भूलकर भी न भूल पाएंगे हम,
बस यही एक वादा निभा पाएंगे हम
मिटा देंगे ख़ुद को भी जहाँ से लेकिन,
तेरा नाम दिल से न मिटा पाएंगे हम ।

१४ आपको चाहने वाले कम ना होंगे
मगर वक्त के साथ हम न होंगे,
अपना प्यार चाहे किसी को भी देना,
पर आपकी यादों का हक़दार हम ही होंगे ।

१५ करोगे याद एक दिन इस प्यार के ज़माने को,
चले जायेंगे जब हम कभी न वापस आने को ,
चलेगा महफिल में जब ज़िक्र हमारा कोई,
तो तुम भी तन्हाई खोजोगे आंसू बहाने को ।

१६ हर समंदर के किनारे होते हैं,
कुछ दोस्त जान से भी प्यारे होते हैं,
क्यों कहते लोग के अकेले रह गए हम,
जिन्दगी में यादों के भी सहारे होते हैं।

१७ बहुत दूर मगर बहुत पास रहते हो
आँखों से दूर मगर दिल के पास रहते हो
मुझे बस इतना बता दो,
क्या तुम भी मेरे बिन उदास रहते हो?







ABOVE WORK IS SEMI-ORIGINAL CREATION OF AUTHOR

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