Thursday, May 14, 2009

समर्पना

अर्पण कर दिया मैंने जो करना था अर्पण
आज निसार हो गया हू मैं
कर दिया है आज पुरा समर्पण
मेरा कुछ नही रहा अब मेरा
स्वीकार करो अब सब कुछ है तेरा
कर लो अब मेरा यह निवेदन स्वीकार
मैं हू निष्पाप अब
यही है मेरा व्यहार
कोई नज़र नही आता
सिवाए तुम्हारे जब देखता हू दर्पण
अब अपने जीवन का तुमसे करना चाहता हू मैं तर्पण
स्वीकार करो मेरी यह अर्पणा
मेरे जीवन मैं बस यही कर्मणा
अर्पण कर दिया मैंने जो करना था अर्पण
आज निसार हो गया हू मैं
कर दिया है आज पूरा समर्पण ।



पीयूष चंदा

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