आज के मिथ्या से कल सत्य प्रकाशित होगा
आज के अंधकार से कल का आकाश प्रज्वलित होगा
नित्य वियोग से अदभुत संयोग होगा
कल के प्रयोग से आज उपयोग होगा
काल के परिमान पर कल का सम्मान होगा
आज के विज्ञानं से कल महान होगा
मिथ्या की परिभाषा ही सत्य की भाषा होगी
सुख की अंतरात्मा ही दुःख की आत्मा होगी
कल की परछाई ही आज की अच्छाई होगी
आज की अरुणाई ही कल की रुलाई होगी
निरंतर से अन्तर जन्म लेगा
काल से विकराल जन्म लेगा
किंतु मर्दन का संयोग ना होगा
अपितु परिमार्जित सत्य प्रकाश न होगा
केवल और केवल मिथ्यप्रकाश होगा
आज के मिथ्या से कल सत्य प्रकाश होगा
आज के सत्य से कल मिथ्यप्रकाश होगा
पीयूष चंदा
bahut achhe brother..
ReplyDeleteapki agri chetna ne hame mantramugdh kar diya..
awesm man..........hats off!!!!!!!
ReplyDeletebacha bda ho gya hai>>>>>>>>
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